Monday, 5 February 2018

वान्या की कलम से : एक नजर सूरज पर ( पार्ट -2)

कुछ कहती आँखे
कुछ सोंचती आँखे
दूर से ही दिल को छूने वाली
कुछ झिलमिल सी शरमाती आँखे
कभी वो महक गई मन की बातों से
कभी मचल गईं अल्फाजों से
बेखौफ कभी हो जाती हैं पर
नादान कभी हो जाती
कुछ अपनी सी घबराती आँखे
कभी कहीं करती शैतानी
कभी सहम सी जाती हैं वो
बहती नदिया की धारा सी
कभी कहीं लहराती आँखें ।।
                                      वान्या (कवित्री)
ये लाइन्स हमारी दोस्त वान्या द्वारा लिखी गई है ।
(शुक्रिया वान्या ।)
जो की मेरी आँखों को बयां कर रही है ।

                                     
इसके पहले भी ये मेरी आँखों पर लिख चुकी है , यह उसका दूसरा भाग है ।
(वान्या आपकी कलम की धार यूहीं चलती रहे, हमारी शुभकामनाये आपके साथ है )

Thursday, 21 September 2017

भारत फिर बनेगा चैंपियन ।

2019 में भारत फिर बनेगा वर्ल्ड चैंपियन ।

आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन 2019 में इंग्लैंड और वेल्स में होना है । इसके लिए सभी टीमे अपनी कमर कस रही है । इस वर्ल्ड कप में कुल दस टीमे हिस्सा लेंगी । आगमी वर्ल्ड कप के प्रमुख दावेदारों में भारतीय टीम का नाम सबसे ऊपर है । क्योंकि भारत के पास अनुभवी और युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी मौजदू है । 

2019  वर्ल्ड कप में इन 7 खिलाड़ियों पर रहेंगी नज़रे । 

1) रोहित शर्मा  ( बल्लेबाज)
  एकदिवसीय  मैच - 163
  रन्स - 5737
 औसत - 43.46 
 शतक - 13 
 अर्धशतक - 32

2) शिखर धवन   (बल्लेबाज)
  एकदिवसीय मैच - 90
  रन्स - 3779 
  औसत - 44.46 
  शतक - 11
  अर्धशतक - 21

3) विराट कोहली   ( बल्लेबाज )
   एकदिवसीय मैच - 194
   रन्स - 8587
   औसत - 55.76
   शतक - 30
   अर्धशतक - 44

4) युवराज सिंह   (ऑलराउंडर)
    एकदिवसीय मैच - 304
    रन्स - 8701
    औसत - 36.56
    शतक - 14
    अर्धशतक - 52
     विकेट - 111

5) महेंद्र सिंह धोनी   (बल्लेबाज/ विकेटकीपर)
     एकदिवसीय मैच - 301
     रन्स - 9658
     औसत - 52.21 
     शतक - 10
     अर्धशतक - 65

6) हार्दिक पांड्या   (ऑलराउंडर)
   एकदिवसीय मैच - 21
   रन्स - 308
   औसत - 34.22
   अर्ध शतक - 2
    विकेट - 23

7) भुवनेश्वर कुमार   (बॉलर)
   एकदिवसीय मैच - 71
   विकेट - 75
   इकॉनमी - 4.89         ( ये सभी आंकड़े 17 सितंबर के पहले तक के                                       है , भारत- ऑस्ट्रेलिया सीरीज 2017 के                                               आंकड़े नही शामिल है ) 

ये आंकड़े बताते है कि भारतीय टीम कितनी मजबूत है । इनमे युवराज और धोनी जैसे दिगज़्ज़ो ने दो बार वर्ल्ड कप जीतने में अहम भूमिका निभाई है । 
2019 में ये सात खिलाड़ी एक बार फिर भारतीय क्रिकेट टीम को चैंपियन बना सकते है । इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल खेलने का भी गहरा अनुभव हो चुका है इन खिलाड़ियों को  , विराट कोहली की कप्तानी में दूसरा बड़ा टूर्नामेन्ट 2019 का वर्ल्ड कप ही होगा । चैंपियंस ट्रॉफी के बाद भारत के पास एक संतुलित टीम है । युवराज सिंह की अगर फिटनेस ठीक रही तो ये एक ट्रम्प कार्ड हो सकता है । भारतीय टीम के पास क्योंकि वो अकेले मादा रखते है किसी भी टीम को पटकनी देने में । भारतीय टीम ने 2019 के लिये  अपनी तैयारियां शुरू कर दी है ।

Sunday, 30 April 2017

गली क्रिकेट की कुछ यादें

गली क्रिकेट का नाम सुनते ही पुरानी यादें ताजा हो जाती है , शायद ही ऐसा कोई हो जिसने बचपन मे गली क्रिकेट न खेली हो । गली क्रिकेट का अपना ही एक रोमांच होता है ,  किसी के घर की खिड़की का शीशा तोड़ना , या बल्ब तोड़ना गली क्रिकेट में आम बात होती है इसलिए मेरे मोहल्ले में तो लोगो ने घर के बाहर बल्ब लगवाना ही बंद कर दिया था । जब हम लोगो ने गली क्रिकेट छोड़ दिया तो  कुछ दिनों बाद फिर से लगना शुरू हो गए लेकिन , एक दूसरी गली क्रिकेट खेलने वाली टीम तैयार हो गई । और बल्बों का हाल फिर से वही हो गया । गली क्रिकेट के कारण  मोहल्ले के घरों में रोज किसी न किसी से झगड़ा होना आम बात है । झगड़ा इतना तगड़ा होता था कि अगर किसी के घर पे बॉल चली गई तो किसी की हिम्मत नही होती थी लेने जाने की । लेकिन किसी न किसी बहाने से बॉल वापस आ जाती थी । और बॉल वापस लेने जाने की एक बहुत ही पुरानी लाइन थी " आंटी या दादी या अंकल  जी इस बार बॉल दे दीजिये अगली बार मत दीजियेगा , दोबारा नही आएगा " 
 गली क्रिकेट के गजब के नियम जो आज 10 साल बाद भी गली क्रिकेट में लागू होते है और अपनी जगह बनाये हुए है इन नियमो के बिना गली क्रिकेट , पूरा नही होता जो की बहुत ही मजेदार है 

1) गली क्रिकेट में विकेट ईंटो के होते हैं और दीवार पर विकेट बना दी जाती है।

2) अगर टीम टीम नहीं खेलना है तो अकेले-अकेले खेला जाता है ।

3) पहले बैटिंग उसकी होती है, जिसका बैट होता है ।

4) जिसकी बॉल होती है उसकी दूसरी बैटिंग होती है ।

5) नाली में जो बाल मारेगा वही निकालेगा ।

6) पहली बॉल ट्राइ बॉल  होगी ।

7) किसी की छत पर कोई बॉल मारेगा तो वह आउट होगा और बॉल वही लेकर आएगा । 

8) बॉल फुट जाने पर या खो जाने पर जिससे फूटेगी या खोएगी वो आधे पैसे देगा ।

9) अंपायर बैटिंग टीम का होगा ।

10) दीवार पर डायरेक्ट लगा तो सिक्स होगा ।

11) आखिरी बैटमैन अकेले बैटिंग कर सकता है ।

12) अगर कोई बैटमैन लगतार तीन बॉल पर कोई रन नही बना पाता है तो वह आउट या रिटायर हो जयेगा ।

13) बैटिंग नही मिली तो फील्डिंग नही करेंगे ।

14) जो सबसे छोटा होगा वो आखिर में बैटिंग करेगा ।

15) अगर रन आउट होने पर बैटमैन को अंपायर आउट नही दे रहा है तो अंपायर को कसम खिलाइ जाती है ।

16) अगर टीम मैच आपस मे होता था तो टॉस तीन बार होता है जो दो बार टॉस जीतेगा उसकी बैटिंग होती है ।

17) ऑल ओवर का मैच भी होता है मतलब जब तक बैटमैन आउट न हो तब तक आप बौलिंग करेंगे ।

18) अगर बॉल नाली में किसी ने मारा तो उसको 1 रन ही मिलेगा ।

19) अंधेरा होने पर बॉल धीरे धीरे कराई जाएगी । 
                 आदि नियम गली क्रिकेट में होते है । गली क्रिकेट आप प्लास्टिक या टेनिस बॉल से खेल सकते है । गली क्रिकेट में 11 खिलाड़ियों का होना जरूरी नही है  अगर मोहल्ले में कुल 8 खिलाड़ी है तो 4-4 की दो टीमें बन जाती है अगर 9 खिलाड़ी हुए कहने का मतलब टीम अगर बराबर न हुई एक कोई एक्स्ट्रा होता है तो उसको दोनों तरफ से खिलाया जाता है । जो दोनों ओर से बैटिंग और फील्डिंग करता है ।
          गली क्रिकेट पूरे देश के , हर राज्य में , हर शहर , हर गांव, हर मोहल्ले की गली में खेला जाता है । इसका रोमांच अंतराष्ट्रीय क्रिकेट से बहुत ज्यादा है , इसके नियम इंटरनेशनल क्रिकेट से बिल्कुल अलग है , इसलिए ये क्रिकेट अलग है । विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, युवराज सिंह से लेकर भारत के सभी महान खिलाड़ियों ने भी गली क्रिकेट खेला है । अगर आप क्रिकेट नही देखते है  और आपने गली क्रिकेट नही खेली है तो इन नियमो को जानने के बाद शायद आपका मन भी गली क्रिकेट खेलने को करे !

Saturday, 29 April 2017

अन्नदाता - भूखा-प्यासा

                                                                                  हम सभी को पता है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और हम सभी ने यह कहीं न कहीं पढ़ा है। भारत में करोड़ों की संख्या में किसान है और कृषि का जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन फिर भी हमारे देश में किसानों की दयनीय स्थिति है । एक सर्वे के मुताबिक प्रतिदिन किसानों की आत्महत्या के आंकड़ों में इजाफा हो रहा है पहले किसानों की आत्महत्याओं की समस्याएं सबसे ज्यादा महाराष्ट्र से आती थी । लेकिन आज देश के हर हिस्से से किसानों की आत्महत्याओं की समस्याएं सामने आ रही हैं भारतीय किसान काफी हद तक मानसून पर निर्भर रहता है ,एक सर्वे के अनुसार भारत में किसान आत्महत्या की स्थिति 1990 के बाद पैदा हुई जिससे प्रतिवर्ष 10,000 से अधिक किसानों के द्वारा आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है । आत्महत्याओं का मुख्य कारण फसलों का नष्ट हो जाना , सूखा पड़ जाना, लागत ना निकलना ,महंगाई , सिंचाई की सुविधा ना होना , समय पर मानसून ना आना ,  इतिहास और फसल की पैदावार ना होने की वजह से या नष्ट होने की वजह से किसान कर्ज लेता है और उस कर्ज में डूब जाता है । और कर्ज ना चुका पाना भी आत्महत्या की एक मुख्य वजह है ।                                                                        उत्तरप्रदेश के एक जिले बाराबंकी में किसानों की मुख्य समस्याएं बाढ़ और मानसून की मार जैसे कि ओले गिर जाना हैं और सिंचाई के लिए पानी जो कि पहले नहरों से सिंचाई हो जाती थी, लेकिन आज बाराबंकी की लगभग सभी नहरों को पक्का कर दिया गया, जिससे पानी का स्तर नीचे चला गया और तो और अब बाराबंकी की लगभग सभी नहरे सूखी पड़ी हुई है  , जिससे पानी का स्तर नीचे चला गया है जिसकी वजह से बोरवेल भी पानी कम देने लगा है जहां पहले सिंचाई में तीन 4 घंटे लगते थे वहीं अब 5 से 6 घंटे लग जाते हैं फसलों का उचित मूल्य न मिल पाना , बीजो का महँगा होना, हमारी किसानों की मुख्य समस्याएं हैं |

राजनीति का शिकार होते रहते हमारे किसान -                कर्ज माफी में डूबे किसानों की समस्याओं का सबसे ज्यादा फायदा हमारी राजनीति राजनीतिक पार्टियों ने उठाया बड़े बड़े वादे किसानों से किए जाते हैं चुनाव के समय जिम में बहुत से वादे जुमले रह जाते हैं या जो वादे पूरे भी होते हैं तो उन्हें सकते लगा दी जाती हैं जैसे यूपी की कर्जमाफी योगी सरकार द्वारा किसानों किसानों की लघु एवं सीमांत सभी किसानों की कर्ज माफी की गई एक लाख तक की जिससे कुछ किसान तो खुश हो गया लेकिन कुछ किसान नाराज हो गए हैं । बड़े  किसान नाराज हो गया जिनका 10 से 15 लाख तक का कर्ज था उनका इससे कोई फायदा नहीं हुआ । लघु एवं सीमांत किसानों की कर्जमाफी में भी बहुत सी शर्ते है , जिनके कारण बहुत से लघु और सीमांत किसान भी वंचित रह गए है । तमिलनाडु के किसानों की दशा आदि, समय-समय पर किसान अपनी आशाएं लिए इधर से उधर राजनीतिक पार्टियों की तरफ भटकता रहता है की किसी ना किसी सरकार के द्वारा उनका भला हो जाएगा । और राजनीति का शिकार होता रहता है ।

किसानों की समस्याओं पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत- आज हम गौ रक्षा, देश भक्ति, हिंदू- मुस्लिम,  लाउडस्पीकर ,मंदिर- मस्जिद,शमशान-कब्रिस्तान  जैसे फालतू की समस्याओं में उलझे हुए हैं, जो कि किसी भी देश के लिए खतरनाक है । गौ रक्षा देश भक्ति और हिंदू मुस्लिम की बात आती है तो हम सभी अपने अपने धर्म और देश भक्ति को दिखाने लगते हैं , गाय पर बहस होती है लेकिन धरने पर बैठे तमिलनाडु के किसानों पर बहस नहीं होती उनको नकली बता दिया जाता है पेशाब पीने पर मजबूर किसान जब आत्महत्या करें तो शायद वह अपनी असली और अपने असली किसान होने का सबूत दे पाएं । गौरक्षा और देशभक्ति में उलझे हुए देश और  सरकार को किसानों की ओर ध्यान देने की जरूरत है किसानों के लिए कोई भी आंदोलन नहीं करता है , कोई भी मोमबत्ती लेकर नहीं जाता है, कोई भी धरने पर नहीं बैठता है, कोई भी Facebook या WhatsApp पर अपनी प्रोफाइल फोटो नहीं लगाता है, क्यूं  कोई बहस नहीं करता है, यह गंभीर समस्या है सरकार को हमारे देश के लोगों को यह समझना चाहिए । तभी देश में खुशहाली और देश का विकास होगा किसानों के लिए भी लोगों को आगे आना चाहिए लोगों को धरने देना चाहिए । लोगों को आंदोलन करना चाहिए । तभी जाकर हमारे किसानों की समस्याएं दूर होंगी और किसानों की आत्महत्याएं रुकेंगे । क्योंकि तभी सरकार इस पर ध्यान देगी । और सरकार को किसानों की समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है और उनकी उनकी बातें सुनने की जरूरत है और देश में किसानों पर बहस होना बहुत जरूरी है , शायद तभी इस मशहूर गाने की लाइन्स  सही साबित होंगी जो की 26 जनवरी और 15 अगस्त को पूरे देश बजती है । "मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती ।"
तभी हमारी देश भक्ति सही मायने में होगी ।
 । जय हिंद-जय भारत, जय-जवान , जय - किसान ।
                                                                                                                                                                                    ( फोटोग्राफ गूगल से डाउनलोड की गई है )
                                          (सूरज वर्मा )
                                  

वान्या की कलम से : एक नजर सूरज पर

लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग की बहुत ही शांत स्वभाव की छात्रा व उभरती हुई कवित्री वान्या दीक्षित  की कलम से एक नजर मेरे व्यक्तित्व व विचारों पर प्रकाश डालती एक छोटी सी कविता ।
                              वान्या दीक्षित
कविता-(एक नजर सूरज वर्मा पर)

आँखें बड़ी सूरज सी तेरी
रंग रूप तेरा सांवला सा
तुझमे गहरा है दया भाव
एक रिश्ता है अपना सा
तुझमे एक खामोशी सी
एक चंचल सी गहराई है
खुश रहना तेरी आदत है
या मीठी सी रूसवाई है
सपनों का मन्दिर प्यारा
एक घर प्यारा उस मन में
मन के भीतर एक सांवल सी
सुरत छिपी है तुझमें
छिपी हुई मन की सूरत में
रंग भरे हैं कितने
कितनी सुन्दर हैं खुशियाँ उसमें
ख्वाब सजे हैं कितने
ख्वाबों का संगम इस मन में
मन में एक अपनापन है
अपनेपन की इस उलझन में
एक सपनों का दर्पण है
मेरी है बस दुआ यही
सपनों की मंजिल पा लेना
गर ठहर जाये ये वक्त कहीं पर
पार उसे तुम कर लेना
                          (वान्या दीक्षित)

वान्या के द्वारा लिखी गई मेरे ऊपर इस कविता की लाइन्स बहुत ही सुंदर थी । मैं वान्या जी का आभार व्यक्त करता हूँ ।
 वान्या भले ही शांत स्वभाव की है लेकिन इनकी कलम बिल्कुल भी शांत नही है ,  अपनी कलम यूहीं हमेशा चलाती रहना । मेरी शुभकामनाये हमेशा तुम्हारे साथ है, और रहेंगी ।
               (धन्यवाद वान्या )

Wednesday, 19 April 2017

अच्छी पत्रकार बनने की चाहत लिए हौसलों भरा जीवन जी रही यशी ।

लखनऊ यूनिवर्सिटी की पत्रकारिता विभाग की छात्रा यशस्वी आज की मॉडर्न लड़कियों में से है । ये ज्यादा बोलती नहीं है , काफी सिंपल रहती है। और येें व्यर्थ की बहस नही करती है ।
आइये जानते है ,हमारी भावी पत्रकार यशस्वी जी से खुद उनकी लाइफ के बारे में और उनके विचारों के बारे में की वह क्या सोचती है ।
   1) आप कहाँ की रहने वाली हो ?
यशस्वी- मै जयपुर की रहने वाली हूँ ।

2) आपकी फैमिली में कौन कौन है ?
यशस्वी- मेरी फैमिली में मम्मी ,पापा, दादी और मेरी छोटी बहन है ।

3) जयपुर से लखनऊ आना क्यों हुआ ?
यशस्वी- जयपुर से लखनऊ इसलिए आना हुआ ,क्योंकि मेरे पापा जॉब करते है और उनका ट्रांसफर लखनऊ हो गया , तो 2009 में हम लोग लखनऊ आ गए ।

4) लखनऊ और जयपुर में कौन सा शहर ज्यादा अच्छा है ?

यशस्वी- लखनऊ और जयपुर में यह डिफरेन्स है कि लखनऊ में आपको जमीनी स्तर के लोग मिलेंगे उसका कारण शायद यह है कि गाँव से जुड़े हुए लोग ज्यादा है तो यहाँ जमीनी स्तर पर बात होती है , और जयपुर में व्यपारी वर्ग ज्यादा है ,वहां पर हेल्पिंग नेचर के लोग आपको नहीं मिलेंगे जो की लखनऊ में है ,लखनऊ में पड़ोसी कल्चर है आस पास के लोग होली ,दिवाली मिलने आते है , जयपुर में ये सब चीज़े नहीं है , लेकिन जयपुर में आपको हेल्पिंग नेचर नहीं मिलेगा और इससे मेरे अंदर यह एक अच्छी आदत हो गई है कि मैं अपना काम खुद करने लग गई हूँ क्योंकि मुझे पता है कि कोई हेल्प नहीं करेगा। एडमिनिस्ट्रेटिव के मामले में जयपुर को पसंद करुँगी और हेल्पिंग नेचर के मामले में लखनऊ को  ।

5) आप इतना शांत शांत और खोई खोई क्यों रहती है ?

यशस्वी- नहीं ऐसा नहीं है ,मै शांत-शांत ,और खोई-खोई तो बिलकुल भी नहीं रहती हूँ । सब मुझसे पूछते है लेकिन ऐसा कुछ नहीं है ,मुकुल सर ने भी यह सवाल पूछा था क्लास में, मै ये कहूँगी की क्लास में मै टीचर्स की बात सुनती हूँ, जो वो बोलते है वो मै नोट करती हूँ ,,मुझे बिना मतलब बोलना नहीं अच्छा लगता किसी से भी ,क्लास में बात करने की कोई जरुरत भी नहीं है । क्योंकि टीचर्स पढ़ाते है , मुझे बिना मतलब अपनी उपस्थति दर्ज कराने की जरुरत नहीं है । जब मुझे कुछ पूछना होता है तभी मैं बोलती हूँ ,मुझे फालतू बोलना पसंद नहीं है ।

6) आपने लखनऊ यूनिवर्सिटी ही क्यों पसंद किया ?

यशस्वी- लखनऊ यूनिवर्सिटी इसीलिए क्योंकि मुझे बेस चाहिए था । मुझे जमीनी स्तर पर बात करना अच्छा लगता है । और लखनऊ यूनिवर्सिटी में ज्यादातर वो बच्चे आते है पढ़ने जिन्होंने प्रॉबलम्स देखि हुई होती है , वो ऑडी या  महँगी गाड़ियों में नहीं घूमते है । और लखनऊ यूनिवर्सिटी में जमीनी स्तर पर बात होती है । और मुझे बड़े ,बड़े कैफ़े में जाना पसंद नहीं , मुझे समोसा और चाय ही अच्छी लगती है , अगर मैं किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी में होती तो मैं शायद अपना कोर्स पूरा कर रही होती । मुझे सिम्पलिसिटी पसंद है । मुझे दिखावा पसंद नहीं । लखनऊ यूनिवर्सिटी में शायद उतनी फैसिलिटीज नहीं है लेकिन उनकी मुझे जरुरत भी नहीं है ,जिसको निकलना होगा वह निकल जयेगा । मुझे लखनऊ यूनिवर्सिटी और अपना डिपार्टमेंट बहुत ज्यादा पसंद है ।

7) मॉस कम्युनिकेशन की पढ़ाई ही क्यों ?

यशस्वी- मॉस कम्युनिकेशन इसलिए चुना क्योंकि मुझे लिखने और पढ़ने का शौख है । मुझे लिखना पसंद है ,और मै थोड़ी देशभक्त टाइप की हूँ , शायद अगर मुझे थोड़ा सा सिखाया जाता तो मैं आर्मी या नेवी में जाती पर मैं नहीं जा पाई , तो सोसाइटी को सर्व करने का दूसरा तरीका जो था वह मेरी राइटिंग थी । अगर मैं अपनी राइटिंग से लोगो को बदल पाऊं तो यह बहुत बडी बात होगी ।

8) मॉस कम्युनिकेशन की फील्ड में अगर आप न होती ,तो आपकी दूसरी पसंद क्या होती ?

यशस्वी- अगर मैं मॉस कम्युनिकेशन की फील्ड में न होती तो मैं आर्मी, या नेवी में जाती ताकि मैं सोसाइटी या देश के लिए कुछ कर संकू । जाहिर है अपने लिए भी सब करते है। पैसे कमाते है।  मेरे अंदर समाज के लिए कुछ करू वह जज्बा है ।

9) लखनऊ यूनिवर्सिटी में सबसे अच्छी चीज़ क्या है ?

यशस्वी- लखनऊ यूनिवर्सिटी में सबसे अच्छी चीज़ यह है की ज्यादातर लोग मिडिल क्लास फॅमिली से आते है । सबका बैकग्राउंड ज्यादातर एक जैसा है । सबकी प्रोब्लेम्स ज्यादातर एक जैसी है , तो उस पर डिसकस करना बात करने में मजा आता है ।

10) मॉस कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की सबसे अच्छी बात क्या है ?
यशस्वी- सबसे अच्छी बात यह है कि यहाँ हम लोगो को फ्लेक्सबिलिटी है , आजादी है , कोई भी काम फोर्स फूली नहीं होता है जबर्दस्ती थोपा नहीं जाता है ।

11) मॉस कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट में आपका पसंदीदा टीचर कौन है ?
यशस्वी- सभी टीचर्स अच्छे है । अगर मुझे कुछ पॉइंट टू पॉइंट चाहिए होता है तो मैं पिंटू सर से पूछ लेती हूँ ,और अगर मुझे गहरे ,डीप्ली जवाब चाहिये होते है तो मुकुल सर से दोनों मेरे पसंदीदा टीचर्स है । और सभी टीचर्स अच्छे है ।

12) मॉस कम्युनिकेशन की क्लास में सबसे अच्छी या अच्छा आपका दोस्त कौन है ?
यशस्वी-मेरी सबसे अच्छी दोस्त हर्षिता है ,लेकिन इसलिए नहीं की मै उसे पहले से जानती हूँ । बल्कि इसलिए की उसका नेचर बहुत एड्जस्टिंग है । वो मेरे टाइप की है ,मुझे समझती है , सही एडवाइस देती है । वो ज्यादा बोलती नहीं है ,लेकिन मुझे चाहिए भी नहीं , और उसने मेरा साथ हमेशा दिया है ।

13) आप जयपुर की रहने वाली है तो ये बताइये की जयपुर को गुलाबी शहर क्यों कहा जाता है ?
यशस्वी- यह तो मुझे भी समझ नहीं आया अभी तक उसको गुलाबी शहर कहा जाता है । वहाँ पर जो पुराना जयपुर है ,जैसे लखनऊ में हजरतगंज वैसे ही तो वहाँ पुराने जयपुर में सभी बिल्डिंग्स महरून कलर में है पिंक में नहीं है उसको महरून शहर कहना चाहिए ।

14) आपकी सबसे बड़ी कमजोरी क्या है ?

यशस्वी- मेरी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि मुझे लोगो से ज्यादा मिलना जुलना पसंद नहीं है । यह एक बुरी आदत हैं और कभी कभी मेरी यही कमजोरी बन जाती है ।

15) आपको किस चीज़ से डर लगता है ?

यशस्वी-मुझे वैसे तो किसी चीज से डर नहीं लगता लेकिन मैं बहुत ज्यादा एडवेंचर्स भी नहीं हूँ । मुझे ऊंचाई से डर लगता है ।

16) आपको गुस्सा कब आता है ?

यशस्वी- मुझे दो कारणों से गुस्सा आता है  1) जब मैं अपना काम डेडलाइन पर नहीं कर पाती । 2) जब घर पर रिलेटिव्स आते है , मुझे बहुत चिढ़ है ।

17) लेकिन रिलेटिव तो भगवान् का रूप होते है ।  (अतिथि देवो भव) फिर गुस्सा क्यों आता है ?

यशस्वी- हाँ अतिथि देवो भव कहा भी जाता है , अच्छा भी लगता है । जब रिलेटिव्स आते है , लेकिन उसके लिए रिलेटिव्स अच्छे भी होने चाहिए । जैसे -मेरी मौसी आती है मुझे अच्छा लगता है ।लेकिन मेरे ज्यादातर रिलेटिव्स अच्छे नहीं है । और न जाने उनको कैसे पता चल जाता गई की वो एग्जाम के टाइम ही आ जाते है । और मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होती है ,इसलिए मुझे नहीं अछा लगता ।

18) भूतो पे विश्वास करती हो ?

यशस्वी- नहीं भूतो पे विश्वास नहीं करती , लेकिन मुझे हॉरर स्टोरीज बहुत अच्छी लगती है ,मै हमेशा सर्च करती रहती हूँ  ।

19) भगवान् पर विश्वास करती हो ?

यशस्वी- हाँ बहुत ज्यादा लेकिन मैंने उसे कोई रंग रूप नहीं दिया है कि ये गणेश जी है ,और ये शंकर् जी । और न ही मैं कोई व्रत रखती हूं । मेरा अपना तरीका है उनसे बात करने का ,और उनको मानने का ।

20) आपने कहा आप भगवान् से बात करती है कैसे क्या आप बता सकती है ?
यशस्वी- मेरा तरीका यही है बात करने का की मैं कोई आम मन्दिर में चली जाती हूँ ,कोई छोटा सा मंदिर, कोई पेड़ के नीचे बना हुआ मंदिर क्योंकि वो शांति देता है । मुझे जहाँ ज्यादा भीड़ होती है , शोर होता है वहां जाना नहीं पसंद, और जैसे मैं दोस्तों से बात करती हूँ  वैसे ही मैं भगवान् से कम्यूनिकेट कर लेती हूँ ,बस यही तरीका है ।

21) भगवान तो हर जगह है फिर आप आम मंदिर मेरा मतलब मंदिर क्यों जातीं हो ,आप  घर के किसी कमरे में बैठकर भी बात कर सकती है ,या याद कर सकती है ?

यशस्वी- हाँ बिलकुल मै कहीं भी बैठकर बात कर लेती हूँ ,ऐसा कुछ नहीं है मै मंदिर भगवान् के लिए जाती हूँ ,मै मंदिर इसीलिए जाती हूँ की वहाँ बहुत शांत वातावरण रहता है , और इसलिए मुझे जाना अच्छा लगता है । और भगवान् से तो मै कहीं भी बात कर लेती हूँ ।

22) लड़कियों के लिए कितना मुश्किल है पढ़ाई या जॉब करना ?

यशस्वी - यह बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल है , मैं शहर की बात करती हूँ ,गाँवो में तो बहुत बुरा हाल है ।  हम लोग पढ़ाई करते है जॉब के लेवल तक पहुँच जाते है फिर हमारी शादी होती है । तो हम लोगो से बोलो जाता है नियम से रहो , बेबी होता है तो कई लड़कियों को जॉब छोड़नी पड़ती है । मुश्किल तो है लेकिन लडकिया अगर मजबूत हो जाये, और वो अपनी अहमियत ,आजादी को समझे तो उनको कोई नहीं रोक सकता ।

23) आपके लिए प्यार ज्यादा महत्व रखता है या करियर ?

यशस्वी - मैंने करियर को ही अपना लव बना लिया है अगर आप पूछे की आप क्या सेलेक्ट करेंगी तो मैं करियर को क्योंकि करियर ही मेरी पहचान देता है । प्यार जितना मुझे मिलना होगा वो तो मेरे पेरेंट्स ही कर पाएंगे उनके आलावा मुझे कोई नेचुरल प्यार नहीं कर पायेगा |

24) बहुत से घर है लखनऊ और पूरे उत्तरप्रदेश में जिनमे लड़कियों को रोका जाता है । कि ऐसे कपडे मत पहनो ? जीन्स ,स्कर्ट आदि क्या कभी  आपके साथ ऐसा कुछ हुआ ?
यशस्वी- लड़कियों के साथ ऐसा होता है पर वो इसलिए क्योंकि वो अपनी कमान पुरुषों को खुद सौंप देती है, पर मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ कि मुझे कपड़ों के लिए या किसी भी चीज़ के लिए रोका गया हो।

25) बहुत से नेता या किसी धर्म विशेष के कुछ लोग कहते है कि लड़कियों को छोटे कपडे नहीं पहनने चाहिये ? उनके लिए आप कुछ कहना चाहेंगी ?

यशस्वी-मैं इस बात के समर्थन में नहीं हूं कि कोई किसी अन्य व्यक्ति ख़ासकर महिला के कपड़ों या किसी भी अन्य चीज़ो पर अपनी राय दे पर हां मेरा यह मानना ज़रूर है कि जगह और लोगों को आप नहीं बदल सकते,इसलिए परहेज़ करने में कोई बुराई नहीं है।परेशानी छोटे कपड़ों में नहीं है पर माहौल के हिसाब से एहतियात बरतनी चाहिए,क्योंकि आप सबकी मानसिकता नहीं बदल सकते।महिलाएं छोटे कपड़े पहन तो लेती हैं पर उन्हें खुद असहज महसूस होता है,इसीलिए अपनी सहजता के आधार पर चयन किया जा सकता है।  

26)    क्या एंटी रोमियो दल से लड़कियों के साथ होने वाली छेड़खानी पर पूरी तरह रोक लग जायेग़ी  ?                 यशस्वी  : हां अगर ये प्रयास इसी सख्ती से चलते रहे तो हो सकता है ऐसी हरकतें कम हो जाएं फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी।

27) आपका पसंदीदा भोजन क्या है ?
यशस्वी- मुझे साउथ इंडियन खाना ज़्यादा अच्छा लगता है,उसमें खट्टे-मीठे का combination होता है इसीलिए।

28) अगर आपको एक दिन के लिये सुवर पावर्स मिल जाए तो आप क्या करेंगी ?
यशस्वी- मुझे सुपरपॉवर मिलेगी तो मैं नैचुरल रिसोर्सेज बढ़ाना चाहूंगी।

29)आपको कैसी फिल्मे पसंद है ?

 यशस्वी- मुझे सच्ची घटनाओं पर बनी फिल्में या किसी मुद्दे पर बनी फिल्में अच्छी लगती हैं।हाल की फिल्मों में मुक्ति भवन,अनारकली,पार्च्ड,पिंक,मांझी,एयरलिफ्ट,नीरजा उनमें से एक हैं।मुझे शार्ट फिल्में भी पसंद हैं।

30) आपका पसंदीदा अभिनेता या अभिनेत्री कौन है ?

यशस्वी- अभिनेता में अमरीश पुरी और अभिनेत्री में राधिका आप्टे अच्छी लगती हैं।

31) आप किसको अपना आदर्श मानती है और क्यों ?

यशस्वी-मैंने किसी एक इंसान को आदर्श तो नहीं माना कभी,वक्त और स्वभाव के आधार पर हमें दूसरों के रास्तों से सीख मिलती है, जिससे अपना काम बेहतर होता है।

32) क्या आपको लगता है कि आज के समय में सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग लेनी चाहिये लड़कियों को ?

यशस्वी- हां बिल्कुल ये होना चाहिए। बल्कि सेल्फ डिफेंस कई स्कूलों में कम्पलसरी भी है,कहीं भी किसी भी परिस्थिति में आपका आत्मनिर्भर होना बहुत ज़रूरी है।

 33) घर का कोई नियम जो आपको फॉलो करना पड़ता हो ?

यशस्वी- हाँ बिलकुल मेरे घर का नियम है कि घर के सारे बिल्स , मुझे टाइम पर भरना है , और ध्यान रखना है ,और घर के सारे काम मुझे ही पूरे करने है । यही सब रूल फॉलो करना पड़ता है ।

34) क्या कभी आपको ऐसा लगा की आपको लड़की नहीं लड़का होना चाहिए था ?
यशस्वी - नहीं कभी ऐसा नहीं लगा ,मुझे लड़की होने पर गर्व महसूस होता है । भारत में लड़कियों के लिए दिक्कते है , रात को बाहर नहीं जाने दिया जाता है ,लेकिन कभी न कभी इंडिया इतना सेफ हो जयेगा की पैरेंट्स इतना सिक्योर फील करेंगे की  लड़कियों को रात बाहर जाने दिया जायेगा ।

35) आपकी बचपन की कोई  शरारत अगर आपको याद हो तो बताइए  ?
यशस्वी- हाँ , मै बचपन में बगल वाले घर का  नल खोल कर भाग जाती थी इसलिये क्योंकि वो आंटी अच्छी नहीं लगती थी मुझे  ,बहुत बोलती थी ।  और एक दो पड़ोसी थे अच्छे नहीं लगते थे ,तो मैं उनके घर की घंटी बजाकर भाग जाती थी ।



36) आप लव मैरिज या अरेंज किस में विश्वास रखती हो ?
                                                                         यशस्वी-मैं लव मैरिज में यकीन इसीलिए रखती हूं क्योंकि आपको जानने समझने का वक़्त मिलता है।और साथ रहने के लिए ये ज़रूरी है।

37) यदि आपको कोई जीव या जानवर बनना हो तो आप कौन सा जीव या जानवर बनना चाहेंगी ?                           यशस्वी-मैं एक डॉलफिन बनना चाहूंगी,तैरना पसंद है मुझे इसलिए।

38) आपको कौन सा खेल पसंद है ?

यशस्वी-आउटडोर गेम्स में स्विमिंग और इंडोर गेम्स में कैरम पसंद है

39) आपको कौन सा लेखक और लेखिका पसंद है ? कोई पसंदीदा किताब ?
यशस्वी- अतिथि एक किताब है शिवानी लेखिका का नाम है।और नए लेखकों में नीलेश मिश्रा पसंद हैं, उनकी किताब याद शहर के दोनों भाग अच्छे हैं।

40) भविष्य में अपने आप को आप कहाँ देखना चाहेंगी ?

यशस्वी-भविष्य में मैं अपने आप को एक बेहतर इंसान बनते हुए देख सकूंगी, किस परिस्थिति को कैसे संभालना है ये सीखना ज़रूरी है।

41) आप अपने जीवन काल में कौन सी जगह घूमना चाहेंगी ?
यशस्वी- Nasa और Isro

 42) क्या लड़कियों से छेड़खानी में सिर्फ और सिर्फ लड़के ही जिम्मेदार होते है ?                                               यशस्वी-ये एक बड़ा सवाल है उसके लिए बहुत से नज़रिये से बात को समझना ज़रूरी है।लड़के जो लड़कियों को छेड़ते हैं उन्हें ऐसी मानसिकता देने वाले समाज में महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल हैं।इसका सिर्फ एक ही हल है कि आने वाली पीढ़ी को समझदार बनाने के लिए माता-पिता दोनों को सही सीख देने की ज़रूरत है।पर जिस लड़की के साथ छेड़खानी हो रही है उसमें उसकी कभी कोई गलती हो ही नहीं सकती।

43)अगर आपको भगवान् से कोई दो विश मांगनी हो तो आप क्या मांगेंगी ?

यशस्वी- अगर भगवान से कोई विश मांगनी हो तो मैं पॉल्युशन less शहर और शिक्षा लैस देश चाहूंगी।इसमें पहले लेस का मतलब "कम" और दूसरे लेस का मतलब "शिक्षा युक्त" है

44) क्लास में सबसे ज्यादा बकवास कौन करता है आपको क्या लगता है ?
यशस्वी-क्लास में सबसे ज़्यादा बकवास अपना वॉट्सऐप ग्रुप करता है।😅

45) आपकी जीवन की कोई ऐसी याद जो दिल के करीब हो अगर आप बताना चाहे तो ?
यशस्वी-जब मुझे मम्मी-पापा से बहन मिली थी और मेरा चुना हुआ नाम उसको दिया गया था तब वो दिन मेरे लिए सबसे खास था।वो एक असली खिलौना है।

Sunday, 16 April 2017

मिट्टी के बर्तन और कुम्हार

                                                            कुम्भार द्वारा बनाये गए बर्तनो का स्टॉक

मिट्टी के बर्तनों का इतिहास हजारों साल पुराना है आज भी हमारे खोजकर्ताओं या इतिहासकारों को खुदाई या खोज में मिट्टी के बर्तन प्राप्त होते हैं या  दीवारों पर उनके उल्लेख मिलते हैं मिट्टी के बने बर्तनों का प्रयोग प्राचीन समय से होता रहा है आज इनकी उपयोगिता कम हुई है क्योंकि आज के आधुनिक दौर में प्लास्टिक स्टील आदि के बर्तनों का उपयोग ज्यादा होने लगा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज ही इनका उपयोग ज्यादातर किया जाता है । शहरों में भी कुछ जगहों पर पेयजल रोड के किनारे आज भी मिट्टी के घड़ो का प्रयोग किया जाता है मिट्टी के बने गुल्लकों का भी उपयोग कम हो गया है क्योंकि गुल्लक भी नए जमाने के आ गए हैं लेकिन आज भी मिट्टी के गुल्लक ग्रामीण क्षेत्रों में अपना दबदबा बनाए हुए बनाए हुए हैं शहरों में आज भी चाय कुल्हड़ में कई जगह मिलती है जिसका स्वाद ही अलग होता है ऑनलाइन भी मिट्टी के बर्तन मिलते हैं लेकिन इनकी बिक्री उतनी ज्यादा नहीं है मिट्टी के बर्तन कई तरह के मिलते हैं जिनमें सिरेमिक क्ले क्रीमवियर और टेराकोटा के बने हुए बर्तन मिल जाएंगे उनकी अलग-अलग रेंज है आप अपनी जरूरत के हिसाब से इनका चुनाव कर सकते हैं । मिट्टी के बने सामानों बर्तनों का अपना महत्व है मिट्टी के बर्तनों के पकाए जाने वाले खाने पानी पीने से कई तरह की सूक्ष्म शारीरिक बीमारियां नष्ट हो जाती है। मिट्टी के बर्तनों का उपयोग धीरे धीरे कम हो गया और यह निरंतर कम होता जा रहा है लेकिन मिट्टी के बर्तनों का अपना एक अलग महत्व है इसके कई फायदे हैं ।
अब बात आती है मिट्टी के बर्तन कैसे बनते हैं यह कौन बनाता है मिट्टी के बर्तनों का बनाने का कार्य कुम्हार जाति के लोग करते हैं यह जात संपूर्ण भारत में हिंदू और मुस्लिम धर्म संप्रदायों में पाई जाती है कुमार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जहां कुंभ मतलब घड़ा और कार मतलब कारीगर या घड़ों के कारीगर । किस जात के लोगों का विश्वास है कि उनके आदि पुरुष महान आगस्ते हैं और यह भी समझा जाता है कि यंत्रों में कुम्हार के चाक का अविष्कार सबसे पहले हुआ कुम्हार जाति का इतिहास बहुत पुराना है मिट्टी के बर्तनों के बनाने की आधुनिक मशीने बाजार में मौजूद है यही कारण है कि कुम्हार के द्वारा हाथ से बनाए गए बर्तनों की कला धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है लेकिन कुछ जगहों पर आज भी कुम्हार हाथ से मिट्टी के बर्तन चाक के द्वारा बनाते हैं बाराबंकी के दरियाबाद के कुम्हार भी आज भी हाथ से वह पुरानी विधि से मिट्टी के बर्तन बनाते हैं ।

         मिट्टी लाई जाने के लिए प्रयोग की जाने वाली ठेलिया
  तालाब से मिट्टी के लिए इसका उपयोग किया जाता है इसको ठेलिया भी बोला जाता है


              बर्तन बनाने में उपयोग की जाने वाली मिट्टी

कच्चे माल के रूप में उपयोग की जाने वाली मिट्टी में तालाब के किनारों पर स्थित दलदली भूमि से प्राप्त की
                                   वसुरी
गीली मिट्टी को काटने के लिए वसुरी का उपयोग किया जाता है
                                     चाक
मिट्टी के बर्तनों का संपूर्ण कार्य चाक पर किया जाता है चाक पर गुथी हुई गीली मिट्टी से विभिन्न आकृतियों से पात्र बनते हैं चार को तेजी से गोल-गोल घुमाया जाता है फिर उस पर हाथ के द्वारा गीली मिट्टी को आकार दिया जाता है
                                    चौपत
चौपत का प्रयोग चाक के नीचे होता है इसकी सहायता से चाक घुमाया जाता है या घूमता है चाक चौपत के ऊपर रखा जाता है
             
कच्ची गीली मिट्टी द्वारा बनाये गए बर्तन

चाक पर मिट्टी के बर्तनो को आकार व छोटी डिज़ाइन बनाता हुआ शाहिद अली ।
                                   साँचा
सांचा का कार्य गीले बर्तनों पर बड़ी डिजाइन बनाने के लिए किया जाता है
                                     कंडे
बाराबंकी के दरियाबाद की कुम्हार मिट्टी के बर्तनों को पकाने के लिए गोबर के बने खंडों का प्रयोग करते हैं
                                      आंवा
जहां पर बर्तन पकाने की प्रक्रिया होती है उस जगह को आंवा बोला जाता है
                               टूटे हुए बर्तन
बर्तनों को पकाने में कुछ बर्तन फूट जाते हैं
                                    पीड़ी
पीड़ी का प्रयोग कच्चे बर्तन में मिट्टी को बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है ।


बर्तनों को पकाने के बाद इन पर रंगाई की जाती है तथा रंगो के माध्यम से चित्रकारी की जाती है उसके बाद बिक्री के लिए तैयार किए जाते हैं
                       मिट्टी के बर्तन बेचता रहीम


बाराबंकी के दरियाबाद इलाका जो कभी अंग्रेजो के ज़माने में जिला मुख्यालय हुआ करता था वहा के  कुम्हार शाहिद अली ने बताया उनकी रोजमर्रा कि जिंदगी इन्हीं  बर्तनों को बेचते बेचते बीत जाती है उन्होंने बताया कि त्योहारों में उनकी बिक्री में इजाफा हो जाता है लेकिन इतना नहीं कि उनका परिवार 1 महीने अच्छे से गुजारा कर सके शाहिद अली ने बताया कि इन बर्तनों से ही परिवार नहीं चल पा रहा है जिसके कारण उन्हें कहीं मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है और बर्तन बेचने के लिए अपने बेटे रहीम को इन बर्तनों को बेचने के लिए बैठाना पड़ता है हालांकि शाहिद अली अपने बेटे को अच्छे स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं लेकिन इनकी इतनी आमदनी नहीं हो पाती है कि वह उस का दाखिला उन स्कूलों में करा सकें उन्हें डर है कि उनके बेटे का भविष्य चाक की तरह घूमता ना रह जाए जिसकी जिंदगी इन्हीं कच्ची मिट्टी के बर्तन का आकार ले ले हलाकि सरकार दावा करती है कि गांव-गांव बिजली पहुंचाकर इलेक्ट्रिक चौक से इन कुम्हारों को फायदा पहुंचा है लेकिन हकीकत कुछ और है वहां पर जाने पर पता चला कि बिजली की तो छोड़िए वहां बिजली के खंभे भी नहीं है सरकार जिन दावों को रखती है वह उसमें फेल है। शाहिद अली चाहते है कि सरकार हाथ से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हारों को प्रोत्साहन करे उन्हें योजनाओ के द्वारा लाभ दे । जिससे उनके परिवार और बच्चो का भविष्य उज्जवल हो सके ।











































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