कुछ कहती आँखे
कुछ सोंचती आँखे
दूर से ही दिल को छूने वाली
कुछ झिलमिल सी शरमाती आँखे
कभी वो महक गई मन की बातों से
कभी मचल गईं अल्फाजों से
बेखौफ कभी हो जाती हैं पर
नादान कभी हो जाती
कुछ अपनी सी घबराती आँखे
कभी कहीं करती शैतानी
कभी सहम सी जाती हैं वो
बहती नदिया की धारा सी
कभी कहीं लहराती आँखें ।।
वान्या (कवित्री)
ये लाइन्स हमारी दोस्त वान्या द्वारा लिखी गई है ।
(शुक्रिया वान्या ।)
जो की मेरी आँखों को बयां कर रही है ।
इसके पहले भी ये मेरी आँखों पर लिख चुकी है , यह उसका दूसरा भाग है ।
(वान्या आपकी कलम की धार यूहीं चलती रहे, हमारी शुभकामनाये आपके साथ है )
कुछ सोंचती आँखे
दूर से ही दिल को छूने वाली
कुछ झिलमिल सी शरमाती आँखे
कभी वो महक गई मन की बातों से
कभी मचल गईं अल्फाजों से
बेखौफ कभी हो जाती हैं पर
नादान कभी हो जाती
कुछ अपनी सी घबराती आँखे
कभी कहीं करती शैतानी
कभी सहम सी जाती हैं वो
बहती नदिया की धारा सी
कभी कहीं लहराती आँखें ।।
वान्या (कवित्री)
ये लाइन्स हमारी दोस्त वान्या द्वारा लिखी गई है ।
(शुक्रिया वान्या ।)
जो की मेरी आँखों को बयां कर रही है ।
इसके पहले भी ये मेरी आँखों पर लिख चुकी है , यह उसका दूसरा भाग है ।
(वान्या आपकी कलम की धार यूहीं चलती रहे, हमारी शुभकामनाये आपके साथ है )